गौतम बुद्ध कौन थे ?
- गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक या प्रवर्तक थे। गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म का व्यापक प्रचार-प्रसार किया था। उन्होंने लोगों को सत्य, अहिंसा, प्रेम, दयालुता, करुणा, सहानुभूति और परोपकार का पाठ पढ़ाया।
- गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) का जन्म 563 ईसा पूर्व में नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था।
- इनके पिता शुद्धोधन और माता महामाया थी। इनके बचपन का नाम ’सिद्धार्थ’ था। यह संपन्न परिवार से संबंधित थे। इन्होंने राजमहल से पढ़ाई की थी। उसके बाद गुरु विश्वामित्र से वेदों और उपनिषदों की शिक्षा प्राप्त की थी। लेकिन सिद्धार्थ का मन गृहस्थी में न लगकर आध्यात्म की ओर अग्रसर हो गया। इसी कारण उन्होंने 29 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया, इस घटना को ’महाभिनिष्क्रमण’ कहते है।
- महाभिनिष्क्रमण के उपरान्त सात वर्ष तक संन्यासी जीवन व्यतीत करते रहे। सबसे पहले वे वैशाली के ’आलार कालाम’ तपस्वी के पास ज्ञानार्जन हेतु गए, किन्तु वहीं उनकी ज्ञान-पिपासा शांत नहीं हुई। अतः वे राजगृह में ब्राह्मण आचार्य ’उद्रक रामपुत’ के पास गये किन्तु यह आचार्य भी उन्हें संतोष नहीं दे सके। तब सिद्धार्थ यहाँ से उरुवेला वन में चले गये।
- सात दिन तक ध्यान-मग्न रहने के पश्चात् वैशाख पूर्णिमा को उन्हें आन्तरिक ज्ञान का बोध हुआ और तभी से वे ’बुद्ध’ कहने जाने लगें पीपल का वह वृक्ष जिसके नीचे सिद्धार्थ को बोध लाभ (ज्ञान प्राप्त) हुआ था, वह ’बोधिवृक्ष’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
- ज्ञान प्राप्त होने के पश्चात् सबसे पहले ’बौद्ध गया’ में ही बुद्ध ने अपने ज्ञान का उपदेश ’तपस्सु’ और ’मल्लिक’ नामक दो बन्जारों को दिया।
- इसके बाद गौतम बुद्ध अपने ज्ञान एवं विचारों को जनसाधारण तक पहुँचाने के उद्देश्य से निकल पड़े और सारनाथ पहुँचे। गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश वाराणसी के पास सारनाथ में दिया।
- वहीं उन्होंने अपने उन पाँचों साथियों से सम्पर्क स्थापित किया, जो उन्हें छोड़कर चले गये थे।
- बुद्ध ने उन्हें अपने ज्ञान की धर्म के रूप में दीक्षा दी।
- यह घटना बौद्ध धर्म में ’धर्मचक्रप्रवर्तन’ कहलाती है।
- गौतम बुद्ध की मृत्यु 483 ईसा पूर्व में कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) में हुई, इस घटना को ’महापरिनिर्वाण’ कहा जाता है।