आज के आर्टिकल में हम राजस्थान के भौतिक प्रदेशों में अरावली पर्वतीय प्रदेश(Aravali Parvatiya Pradesh) की विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे।
अरावली पर्वतीय प्रदेश – Aravali Parvatiya Pradesh
अरावली विश्व की प्राचीनतम वलित एवं अवशिष्ट पर्वतमाला है।अरावली पर्वतमाला दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर फैली हुई है, लेकिन इसकी चौड़ाई उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर बढ़ती है। अरावली पर्वतमाला को भारत की महान जल विभाजक रेखा कहा जाता है। यह अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी की नदियों को अलग करती है।
राजस्थान का अरावली पर्वतीय प्रदेश
विस्तार | भारत के पालनपुर (गुजरात) से रायसीना की पहाड़ी (दिल्ली) तक |
राजस्थान में विस्तार | सिरोही से खेतड़ी (नीम का थाना) तक |
जिले | उदयपुर, सलूंबर, सिरोही, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, डूँगरपुर, प्रतापगढ़, सलूंबर, सिरोही, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, डूँगरपुर, प्रतापगढ़, भीलवाड़ा, शाहपुरा, सीकर, नीम का थाना, झुंझुनूँ, अजमेर, ब्यावर, अलवर, जयपुर, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा एवं डीडवाना-कुचामन |
लम्बाई | 692 किमी. |
राजस्थान में लम्बाई | 550 किमी. |
ऊँचाई | 930 मीटर |
निर्माण का युग | प्री-कैम्ब्रियन युग |
अवशेष | गौडवाना लैण्ड |
क्षेत्रफल | 9% |
जनसंख्या | 10% |
ढाल | दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व |
- अरावली को ’राजस्थान की जीवनरेखा’ व ’अरबसागर की बेटी’ भी कहा जाता है।
- अरावली को भारत का अप्लेशियन कहा जाता है।
- अरावली पर्वतमाला भारत के पालनपुर (गुजरात) से रायसीना की पहाड़ी (दिल्ली) तक फैली हुई है। इसकी लम्बाई 692 किलोमीटर है।
- राजस्थान में अरावली पर्वतमाला सिरोही से खेतड़ी (नीम का थाना) तक फैली है। इसकी लम्बाई 550 किमी. है।
- अरावली की औसत ऊँचाई 930 मीटर है।
- अरावली का 80 % भाग राजस्थान में है।
- अरावली राजस्थान को 50 सेमी वर्षा रेखा द्वारा दो भागों पूर्वी राजस्थान और पश्चिमी राजस्थान में विभक्त करती है।
- वर्तमान में अरावली में शामिल जिले – उदयपुर, सलूंबर, सिरोही, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, डूँगरपुर, प्रतापगढ़, सलूंबर, सिरोही, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, डूँगरपुर, प्रतापगढ़, भीलवाड़ा, शाहपुरा, सीकर, नीम का थाना, झुंझुनूँ, अजमेर, ब्यावर, अलवर, जयपुर, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा एवं डीडवाना-कुचामन आदि।
- अरावली पर्वतमाला का राजस्थान में कुल क्षेत्रफल 9 %और जनसंख्या 10 % है।
- इसकी सर्वाधिक ऊँचाई सिरोही जिले में और न्यूनतम ऊँचाई जयपुर में है।
- अरावली का सबसे अधिक विस्तार उदयपुर जिले में है और न्यूनतम विस्तार अजमेर में है।
- अरावली में सर्वाधिक वर्षा दक्षिणी भाग में होती है।
- अरावली पर्वतमाला दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर फैली हुई है, लेकिन इसकी चौड़ाई उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर बढ़ती है।
- अरावली पर्वतमाला को भारत की महान जल विभाजक रेखा कहा जाता है। यह अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी की नदियों को अलग करती है।
- अरावली का सबसे ऊँचा पाॅइन्ट गुरुशिखर (सिरोही) है और निम्नतम पाॅइन्ट पुष्कर घाटी (अजमेर) है।
- राजस्थान में अरावली का केन्द्रीय भाग अजमेर में है।
- अरावली पर्वतीय प्रदेश की जलवायु उप-आर्द्र जलवायु है।
- इस प्रदेश की औसत वर्षा 50-90 सेमी. है।
- यहाँ उष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वनस्पति पाई जाती है।
- अरावली का उत्तरी व मध्यवर्ती भाग क्वार्टजाईट चट्टानों से तथा दक्षिणी भाग ग्रेनाइट चट्टानों से निर्मित है।
- अरावली विश्व की प्राचीनतम वलित एवं अवशिष्ट पर्वतमाला है।
- यह पर्वतमाला पश्चिमी मरुस्थल के पूर्व में विस्तार को रोकती है।
- यह राजस्थान का सर्वाधिक अभयारण्य वाला भौतिक विभाग है।
- यह सर्वाधिक नदियों के उद्गम वाला भौतिक विभाग है।
- यह सर्वाधिक सघन वनस्पति वाला क्षेत्र है।
- यह सर्वाधिक वनों के विस्तार वाला भौतिक विभाग है तथा वन्यजीवों की शरणस्थली है।
- यह राजस्थान का न्यूनतम जनसंख्या वाला प्रदेश है।
- यह राजस्थान में सर्वाधिक खनिज पदार्थों की बहुतायत वाला भाग है।
- इस प्रदेश में आग्नेय चट्टानों की अधिकता के कारण धात्विक खनिज प्राप्त होते है।
- अरावली पर्वतमाला एक प्राचीन वलित मोड़दार पर्वत शृंखला है।
अरावली पर्वतमाला के उपनाम | |
हिंदू ओलंपस | कर्नल जेम्स टाॅड |
परिपत्र | पुराणों में |
आबू गुलाब | सिरोही में |
आड़ावली | बूंदी में |
आड़ावटा | उदयपुर |
अरावली पर्वतीय प्रदेश को तीन भागों में विभाजित किया जाता है –
- उत्तरी अरावली
- मध्य अरावली
- दक्षिण अरावली
(1) उत्तरी अरावली
विस्तार | खेतड़ी से सांभर तक |
औसत ऊँचाई | 450 मीटर |
सर्वोच्च चोटी | रघुनाथगढ़ पर्वत (सीकर) |
- उत्तरी अरावली अलवर, खैरथल तिजारा, नीम का थाना, झुंझुनूं, जयपुर व कोटपूतली-बहरोड़ जिलों में विस्तृत है।
- इसका निर्माण क्वार्टजाइट एवं फाईलाइट शैलों से हुआ है।
उत्तरी अरावली की चोटियाँ
चोटी का नाम | ऊँचाई |
रघुनाथगढ़ (सीकर) | 1055 मीटर |
मालखेत (सीकर) | 1052 मीटर |
लोहार्गल (झुंझुनूं) | 1051 मीटर |
भोजगढ़ (नीम का थाना) | 997 मीटर |
खो (जयपुर ग्रामीण) | 920 मीटर |
भैराच (अलवर) | 792 मीटर |
बाबाई (जयपुर ग्रामीण) | 792 मीटर |
बरवाड़ा (जयपुर ग्रामीण) | 786 मीटर |
बबाई (नीम का थाना) | 780 मीटर |
बिलाली (कोटपूतली-बहरोड़) | 775 मीटर |
मनोहरपुरा (जयपुर-ग्रामीण) | 747 मीटर |
बैराठ (कोटपूतली-बहरोड़) | 704 मीटर |
सरिस्का (अलवर) | 677 मीटर |
सिरावास (अलवर) | 651 मीटर |
भानगढ़ (अलवर) | 649 मीटर |
जयगढ़ (जयपुर) | 648 मीटर |
नाहरगढ़ (जयपुर) | 599 मीटर |
अलवर दुर्ग (अलवर) | 597 मीटर |
(2) मध्य अरावली
विस्तार | सांभर से देवगढ़ तक |
औसत ऊँचाई | 700 मीटर |
सर्वोच्च चोटी | टाॅडगढ़ पर्वत (934 मीटर) |
- मध्य अरावली प्रदेश में स्थित पहाड़ियों की औसत ऊँचाई 700 मीटर है तो घाटियों की औसत ऊँचाई 550 मीटर है।
- यहाँ की चट्टानें संगमरमर, क्वार्टजाइट व ग्रेनाइट की प्रधानता है।
- अरावली पर्वतमालाा में मध्य अरावली प्रदेश में ही सर्वाधिक अन्तराल पाया जाता है।
- मध्य अरावली की सबसे ऊँची चोटी गोरमजी/टाॅडगढ़ ब्यावर (पूर्व में अजमेर जिले) में 934 मीटर है तथा इस भाग का केन्द्रीय भाग तारागढ़ (अजमेर) में 873 मीटर है।
मध्य अरावली की चोटियाँ
चोटी का नाम | ऊँचाई |
गोरमजी/टाॅडगढ़ | 934 मीटर |
तारागढ़ | 873 मीटर |
नाग पहाड़ | 795 मीटर |
मध्य अरावली के दर्रे –
- बर दर्रा (पाली) – यह ब्यावर को बर (पाली) से जोड़ता है।
- पखेरिया दर्रा (ब्यावर) – ब्यावर को मसूदा से जोड़ता है।
- शिवपुरा घाट दर्रा (ब्यावर) – ब्यावर को मेवाड़ से जोड़ता है।
- सुरा घाट दर्रा (ब्यावर) – ब्यावर को मेवाड़ से जोड़ता है।
- गोरमघाट दर्रा (राजसमंद) – राजसमंद जिले में जोधपुर, उदयपुर रेलमार्ग पर स्थित है। ये दर्रे मारवाड़ जंक्शन (पाली) को आमेर राजसमंद से जोड़ते है।
- कामलीघाट दर्रा (राजसमंद) – यह दर्रा जोजावर (पाली) से देवगढ़ (राजसमंद) को सड़क मार्ग द्वारा जोड़ता है।
(3) दक्षिणी अरावली
विस्तार | टाॅडगढ़ से सिरोही |
औसत ऊँचाई | 1000 मीटर |
सर्वोच्च चोटी | गुरु शिखर पर्वत |
- दक्षिणी अरावली में राजस्थान की सबसे ऊँची चोटी ’गुरू शिखर’ स्थित है जिसकी ऊँचाई 1722 मीटर है, परन्तु इस चोटी के ऊपर ‘दत्तात्रेय ऋ़षि’ का 5 मीटर ऊचा मंदिर बना हुआ है जिसे जोड़ने के बाद गुरू शिखर की ऊँचाई 1727 मीटर मानी जाती है।
- कर्नल जेम्स टाॅड ने गुरूशिखर को ’संतों का शिखर’ या ’हिन्दू ओलंपस’ कहा है।
- गुरू शिखर के नीचे ही राजस्थान का एकमात्र पर्वतीय स्थल सिरोही में माउण्ट आबू स्थित है। आबू पर्वत (सिरोही) समुद्र तल से लगभग 1200 मीटर ऊँचा है।
- इसका निर्माण ग्रेनाइट चट्टानों से हुआ है।
दक्षिण अरावली की चोटियाँ –
चोटी | जिला | ऊँचाई |
गुरुशिखर | सिरोही | 1722 मीटर |
सेर | सिरोही | 1597 मीटर |
दिलवाड़ा | सिरोही | 1442 मीटर |
जरगा | उदयपुर | 1431 मीटर |
अचलगढ़ | सिरोही | 1380 मीटर |
आबू | सिरोही | 1295 मीटर |
कुम्भलगढ़ | राजसमंद | 1224 मीटर |
धोनिया | उदयपुर | 1183 मीटर |
जयराज | सिरोही | 1090 मीटर |
ऋषिकेश | सिरोही | 1017 मीटर |
कमलनाथ | उदयपुर | 1001 मीटर |
सुंधा पर्वत | भीनमाल (जालौर) | 991 मीटर |
माकड़मगरा | उदयपुर | 989 मीटर |
सज्जनगढ़ | उदयपुर | 938 मीटर |
सायरा | उदयपुर | 900 मीटर |
लीलागढ़ | उदयपुर | 874 मीटर |
डोरा पर्वत | जालौर | 869 मीटर |
नागपानी | उदयपुर | 867 मीटर |
गोगुन्दा | उदयपुर | 840 मीटर |
इसराना भाखर | जालौर | 839 मीटर |
रोजा भाखर | जालौर | 730 मीटर |
झारोला भाखर | जालौर | 588 मीटर |
कोटड़ा | उदयपुर | 450 मीटर |
ऋषभदेव | उदयपुर | 400 मीटर |
दक्षिणी अरावली के दर्रे –
- फुलवारी की नाल (उदयपुर) – यह राजस्थान की क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी नाल है। इस नाल से कोटड़ा से उदयपुर मार्ग गुजरता है।
- केवड़ा की नाल (उदयपुर) – यह उदयपुर से जयसमंद झील की ओर जाने वाले मार्ग पर स्थित है।
- देबारी दर्रा (उदयपुर) – चित्तौड़ से उदयपुर की ओर जाने वाले मार्ग पर स्थित है।
- हाथी दर्रा (उदयपुर) – पिंडवाड़ा (सिरोही) से उदयपुर की ओर आने वाले मार्ग पर स्थित है।
- हाथीगुड़ा की नाल (राजसमंद) – यह कुम्भलगढ़ किले के पास स्थित है।
- सोमेश्वर की नाल (पाली) – पाली से रणकपुर रास्ते पर देसुरी के निकट स्थित है।
- देसूरी की नाल (पाली) – देसूरी (पाली) से चारभुजा (राजसमंद) जाने वाले मार्ग पर स्थित है।
अरावली पर्वतमाला की प्रमुख पहाड़ियाँ
भाकर – सिरोही की तीव्र ढाल वाली पहाड़ियाँ, जिन्हें भाकर कहा जाता है।
गिरवा – उदयपुर शहर के चारों तरफ की तश्तरीनुमा पहाड़ियाँ की मेखला गिरवा कहलाती है। इन शृंखलाबद्ध पहाड़ियों के बेसिन में उदयपुर शहर बसा है।
मेवल – डूँगरपुर व बाँसवाड़ा के मध्य का पहाड़ी भाग मेवल कहलाता है
मगरा – अरावली से अलग अपशिष्ट पहाड़ियाँ।
देशहरो – उदयपुर में जरगा व रागा की पहाड़ियाँ जो वर्षभर हरी-भरी रहती है
मेरवाड़ा की पहाड़ियाँ – ब्यावर एवं राजसमंद का पहाड़ी भाग मेरवाड़ा की पहाड़ियाँ कहलाता है। यह मारवाड़ के मैदान को मेवाड़ के उच्च पठार से अलग करती है।
मालानी पर्वत – यह पर्वत शृंखलाएँ बालोतरा तथा जालौर में फैली हुई है।
आडावल पर्वत – आडावल पर्वत बूँदी में स्थित है।
हर्ष पर्वत – हर्ष पर्वत सीकर में 820 मीटर ऊँचा है। इस पहाड़ी पर हर्षनाथ मंदिर बना है।
मुकुंदवाड़ा की पहाड़ियाँ – कोटा, झालावाड़ में स्थित इन पहाड़ियों पर मुकुन्दरा हिल्स नेशनल पार्क स्थित है।
उदयनाथ पर्वत – उदयनाथ पर्वत अलवर जिले में स्थित है। इन पहाड़ियों से रूपारेल नदी का उद्गम होता है।